मेरा नाम है गगन दीप। उत्तर भारत के एक छोटे से शहर का बाशिंदा हूँ। मैं कोई शायर या कवि नहीं, पेशे से वकील मगर दिल से शायद चारण हूँ जिसकी रूह में भटकन है, इसलिए जो देखा और महसूस किया उसे लफ़्ज़ों में पिरोने की कोशिश की मैंने।
यह ब्लॉग एक अनुगूँज है मेरे तस्सवुर में बिखरे हुए उन ख़यालात और जज़्बात की, जो बार-बार शून्य से टकरा कर वापस लौट आते हैं मेरे पास, और कभी जुदा नहीं होते मुझसे।
दिल में उमड़ते हुए अहसासात को काग़ज़ के पन्नों पर अल्फ़ाज़ की शक्ल में उकेरने का शौक बचपन में हुआ। वो अल्फ़ाज़ कभी-कभार कविता या नज़्म की शक्ल ले लेते थे, मगर अपना लिखा हुआ मैंने कभी किसी से साझा ना किया और ना ही उसे शाया करने की हिम्मत जुटा पाया।
गुज़रते वक़्त के साथ मेरा लिखा हुआ बहुत कुछ यहां-वहां खो गया, गुम हो गया। जो कुछ मेरे पास बचा है, और जो थोड़ा-बहुत मैंने हाल ही में लिखा, उसे इस ब्लॉग की शक्ल में आपकी नज़र कर रहा हूँ।
अनुगूँज = प्रतिध्वनि (Echo)
तस्सवुर = कल्पना (Imagination, Contemplation)
शाया करना = प्रकाशित करना (To publish)
********************************
यह ब्लॉग एक अनुगूँज है मेरे तस्सवुर में बिखरे हुए उन ख़यालात और जज़्बात की, जो बार-बार शून्य से टकरा कर वापस लौट आते हैं मेरे पास, और कभी जुदा नहीं होते मुझसे।
दिल में उमड़ते हुए अहसासात को काग़ज़ के पन्नों पर अल्फ़ाज़ की शक्ल में उकेरने का शौक बचपन में हुआ। वो अल्फ़ाज़ कभी-कभार कविता या नज़्म की शक्ल ले लेते थे, मगर अपना लिखा हुआ मैंने कभी किसी से साझा ना किया और ना ही उसे शाया करने की हिम्मत जुटा पाया।
गुज़रते वक़्त के साथ मेरा लिखा हुआ बहुत कुछ यहां-वहां खो गया, गुम हो गया। जो कुछ मेरे पास बचा है, और जो थोड़ा-बहुत मैंने हाल ही में लिखा, उसे इस ब्लॉग की शक्ल में आपकी नज़र कर रहा हूँ।
अनुगूँज = प्रतिध्वनि (Echo)
तस्सवुर = कल्पना (Imagination, Contemplation)
शाया करना = प्रकाशित करना (To publish)
********************************
My name is Gagan Deep. I come from a small, dusty, nondescript town of North India.
I'm a professional lawyer, albeit with a creative, wandering soul that finds an outlet in the poems penned by me. I've attempted to weave in words whatever life has served me - whether good or bad, pleasant or unpleasant. This blog, featuring my compositions, is an Anugoonj (a reverberation) of the thoughts and emotions that keep on arising in my heart, then wandering into nowhere, and finally coming back to me after hitting a vacuum, but never leaving me.
Since early age, I started pouring out my thoughts on paper in the form of words; which, at times, took the shape of poems and verses. But I never had the courage to share them with others, or to get them published. With time, a lot of what I had scribbled on diaries, notebooks, or stray pieces of paper, has been either lost or misplaced; so, what I'm presenting to you in this blog are those poems that have remained intact with me so far, and the ones that I composed recently. I hope you like them.
I'm a professional lawyer, albeit with a creative, wandering soul that finds an outlet in the poems penned by me. I've attempted to weave in words whatever life has served me - whether good or bad, pleasant or unpleasant. This blog, featuring my compositions, is an Anugoonj (a reverberation) of the thoughts and emotions that keep on arising in my heart, then wandering into nowhere, and finally coming back to me after hitting a vacuum, but never leaving me.
Since early age, I started pouring out my thoughts on paper in the form of words; which, at times, took the shape of poems and verses. But I never had the courage to share them with others, or to get them published. With time, a lot of what I had scribbled on diaries, notebooks, or stray pieces of paper, has been either lost or misplaced; so, what I'm presenting to you in this blog are those poems that have remained intact with me so far, and the ones that I composed recently. I hope you like them.