अनुगूँज
गगन दीप की कविताएं, नज़्में और अशआर
Anugoonj: Poems, Nazms and Verses by Gagan Deep
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मुस्कान
(एक मित्र की बिटिया की स्मृति को समर्पित)
देखा नहीं जिसको हमने
नज़रों से कभी
जाने कब, कैसे वो
प्यारी सी ‘मुस्कान’...
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कितने सच...
एक ज़माना था जब,
सच सिर्फ़ एक
हुआ करता था
उसके सिवा सब झूठ...
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