आवाज़
सुनो ग़ौर से तुम अगर
तो हर ख़ामोशी
हरेक सन्नाटे की
आवाज़ होती है...
क़ुदरत का ज़र्रा-ज़र्रा
भी बात करता है तुमसे
बात वो चाहे
बेआवाज़ होती है...
कभी अकेले में बैठो
और खुद ही से बात करो
जो तुम्हें सुनाई दे उस पल
कुछ और नहीं वो
बस तुम्हारी रूह की
आवाज़ होती है!
© गगन दीप