एक पल

वो एक पल अकेला
जो संग हमारे चल रहा
वही एक पल अपना है
उसके सिवा कुछ भी नहीं!

मेरी पहचान

तय किए थे जिन पर
उम्र के मरहले कई
ग़र्द उन्हीं राहों की
जम गई है माज़ी के
पीले पड़े दरीचों पे!